Best of Jaun Elia With BEST Shayari Images to Download || हिंदी शायरी jaun Elia shayari || बेहतरीन शायरी Opal Poetry
January 15, 2022
Best Shayari Images to Download || Best hindi SHAYARIES
दोस्तो, हम जानते है की किस तरह अच्छी शायरियो गजलों का असर आज लोगो के ऊपर होता है। उन्हें शायरी की समझ हो ना ना हो लेकिन पसंद आने पर कोई मुंह बाकी नही रहता जिससे की
बेहतरीन शायरियों के लिए वाह वाही नह निकले। चलिए दोस्तों आज ऐसे ही कुछ बेहद उम्दा शायरी को पढ़ते है।
Read Best Shayari Collection in Hindi
बहुत दिल को कुशादा कर लिया क्या
जमाने भर से बादा कर लिया क्या
तो क्या सचमुच जुदाई मुझसे कर ली
तो खुद अपने को आधा कर लिया क्या
हुनरमन्दी से अपनी दिल का सफहा
मेरी जां, तुम ने सादा कर लिया क्या
जो यक सरजान है, उसके बदन से
कहो कुछ इस्तिफादा कर लिया क्या
बहुत कतरा रहे हो मुग़ बचों से
गुनाहे तर्के बादा कर लिया क्या
यहां के लोग कब के जा चुके है
सफर जादा बह जादा कर लिया क्या
उठाया इक कुदम तूने न उस तक बहुत
अपने को मान्दा कर लिया क्या
तुम अपनी कज कलाही हार बैठी?
बदन को बेलिबादा कर लिया क्या
बहुत नज़दीक आती जा रही हो
बिछड़ने का इरादा कर लिया क्या
कमी को अपनी अपने आप ही में
ज्यादा से ज़्यादा कर लिया क्या
Jaun Elia (Best Gajal By Jaun Elia)
Jaun Elia ke Shayari Collection Images
Jaun Elia ke बेहतरीन शायरियां एवन गजलें
जॉन एलिया शायरी इमेज
दोस्तों अभी आपने Jaun Elia के बेहतरीन गज़ल को पढ़ा और उसके कुछ खास इमेज भी देखें, चलिए दोस्तों कुछ और शेरों और गजलों को देखते है।
Best Gajal By 'Abhi ' In Hindi
क्या क्या वो इंसान बताया करता था
हमको वो अनजान बताया करता था
उसका ही गुलशन देखो है उजड़ गया
जो हमको वीरान बताया करता था
आखिर में देखो हासिल है कुछ भी नहीं
ये सबको शमसान बताया करता था
उसकी चालाकी के ही अब चर्चे हैं
जो खुदको नादान बताया करता था
Abhishek Bhadauria 'Abhi'
Best Shayari Collection In Hindi
ज़मीं रहना हो तुमको या हो तुमको आसमाँ रहना
हमें क्या हमको है बस इस तरह ही राएगाँ रहना
कभी ऐसा था उसकी ज़िंदगी में थे निशाँ मेरे
उसी की ज़िंदगी में अब मुझे है बे-निशाँ रहना
दुआ करता हूँ हो जाए मुकम्मल इश्क ये तेरा
कि मेरे इश्क़ को तो है अधूरी दास्ताँ रहना
Abhishek Bhadauria 'Abhi'
Jaun Elia ke ना पढ़े और सुने जाने वाले गजलों में से एक
कोई नहीं यहां खामोश, कोई पुकारता नहीं
शहर में एक शोर है और कोई सदा नहीं
आज वह पढ़ लिया गया जिसको पढ़ा न जा सका
आज किसी किताब में, कुछ भी लिखा हुआ नहीं
अपने सभी गिले बजा, पर है यही कि दिलरुबा
मेरा तेरा मुआमला इश्क़ के बस का था ही नहीं
खर्च चलेगा अब मेरा किसके हिसाब में भला
सब के लिए बहुत हूं मैं अपने लिए ज़रा नहीं
जाईए खुद में राएगां और वह यूं कि दोस्तां
ज़ात़ का कोई माजरा, शहर का माजरा नहीं
जब वह निगारे सहसराम, हम से हुआ था हमकिनार
कौन बहार का न था, कौन बहार का नहीं
दिल मेरी जान मान लो, आपने खुद–कुशी तो की
वह फकत आसमां का है, जो भी ज़मीं का नहीं
रस्म–ए–वफ़ा बदल चलें, यां से कहीं निकल चलें
कू–ए–खतन में यार की, अब वह मज़ा रहा नहीं
सीना–ब–सीना लब–ब–लब एक फिराक है कि है
एक फिराक है कि है, एक फिराक किया नहीं
अपना शुमार कीजियो ए मेरी जान! तू कभी
मैंने भी अपने आप को आज तलक गिना नहीं
तू वह बदन है जिस में जान, आज लगा है जी मेरा
जी तो कहीं लगा तेरा, सुन, तेरा जी लगा नहीं
नाम ही नाम चार–सू, एक हुजूम रू–ब–रु
कोई तो हो मेरे सिवा, कोई मेरे सिवा नहीं
Jaun Elia (One of Best Gajal of Jaun Elia)
अपनी जबीं पे मैंने आज दीं कई बार दस्तकें
कोई पता भी है तेरा, मेरा कोई पता नहीं
पूछ तो वाकिआ है क्या, देख तो हादसा है क्या
शाम है और शहर में, घर कोई जल रहा नहीं
एक अजीब करबला, सुबह से थी वहां बपा
अरस–ए–दिल में शाम तक कोई बचा भी नहीं
रिश्ता वह शौक का जो था, शौक की नज़र हो गया
अब कोई बे वफ़ा नहीं अब कोई बा वफ़ा नहीं
— जॉन एलिया
सही में यार ये मर्जी उसी की है, जिधर जाए
गुज़ारे ज़िंदगी या फिर यहाँ दिल से गुज़र जाए
लगेगा तो नहीं दिल यार उसके दूर जाने से
उसी का मन जहाँ जाए नही तो फिर ठहर जाए
मिले है यार हाँ मौके सुधरने के यहाँ दिल को
समझ में बात आ जाए, सभी हाँ फिर सुधर जाए
सभी को यार अपने से यहाँ मतलब रहे है अब
नहीं पड़ता किसी को फ़र्क़ चाहे भू बिगड़ जाए
Raunak Karn
उसकी क़िस्मत के क्या कहने
जिसको तूने हाँ बोला है
Kaviraj " Madhukar"
कभी शीशा, कभी कंघी, कभी चद्दर बदलना था
रहे थे साथ जिनमें भी वो सब मंजर बदलना था
तुम्हारे बाद में हमनें यहां क्या-क्या नहीं बदला
तुम्हारा क्या था तुमको तो महज नंबर बदलना था
Priyanshu Tiwari
बहुत मुश्किल है कोई यूँ वतन की जान हो जाए
तुम्हें फैला दिया जाए तो हिन्दुस्तान हो जाए
Kumar Vishwas
तेरी गली को छोड़ के पागल नहीं गया
रस्सी तो जल गई है मगर बल नहीं गया
मजनूँ की तरह छोड़ा नहीं मैं ने शहर को
या'नी मैं हिज्र काटने जंगल नहीं गया
Ismail Raaz
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