आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो || Ghazal Of Rahat Indori - Opal Poetry

आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो  | Rahat Indori Ghazal In Hindi 


आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो 
ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो 

राह के पत्थर से बढ़ कर कुछ नहीं हैं मंज़िलें 
रास्ते आवाज़ देते हैं सफ़र जारी रखो 

एक ही नद्दी के हैं ये दो किनारे दोस्तो 
दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो 

आते जाते पल ये कहते हैं हमारे कान में 
कूच का ऐलान होने को है तय्यारी रखो 

ये ज़रूरी है कि आँखों का भरम क़ाएम रहे 
नींद रखो या न रखो ख़्वाब मेयारी रखो 

ये हवाएँ उड़ न जाएँ ले के काग़ज़ का बदन 
दोस्तो मुझ पर कोई पत्थर ज़रा भारी रखो 

ले तो आए शाइरी बाज़ार में 'राहत' मियाँ 
क्या ज़रूरी है कि लहजे को भी बाज़ारी रखो 
Rahat Indori

चेहरों की धूप आँखों की गहराई ले गया 


आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो  Ghazal In Hindi by Rahat Indori