All Poetry Of Rahat Indori || List Of All Poetry Of Rahat Indori - Opal Poetry
ग़ज़ल
आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो
चेहरों की धूप आँखों की गहराई ले गया
हम ने ख़ुद अपनी रहनुमाई की
बैर दुनिया से क़बीले से लड़ाई लेते
जो ये हर-सू फ़लक मंज़र खड़े हैं
ये ख़ाक-ज़ादे जो रहते हैं बे-ज़बान पड़े
शाम ने जब पलकों पे आतिश-दान लिया
मेरे अश्कों ने कई आँखों में जल-थल कर दिया
दिलों में आग लबों पर गुलाब रखते हैं
सब की पगड़ी को हवाओं में उछाला जाए
काली रातों को भी रंगीन कहा है मैं ने
शहर क्या देखें कि हर मंज़र में जाले पड़ गए
रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है
हाथ ख़ाली हैं तिरे शहर से जाते जाते
तेरी हर बात मोहब्बत में गवारा कर के
बीमार को मरज़ की दवा देनी चाहिए
Source :- Rekhta
नज़्म
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