Chehre Ki Dhup Aankho Ki Gehrai Le Gaya - Rahat Indori
October 07, 2023
चेहरों की धूप आँखों की गहराई ले गया || Ghazal Of Rahat Indori
चेहरों की धूप आँखों की गहराई ले गया
आईना सारे शहर की बीनाई ले गया
आईना सारे शहर की बीनाई ले गया
डूबे हुए जहाज़ पे क्या तब्सिरा करें
ये हादिसा तो सोच की गहराई ले गया
हालाँकि बे-ज़बान था लेकिन अजीब था
जो शख़्स मुझ से छीन के गोयाई ले गया
मैं आज अपने घर से निकलने न पाऊँगा
बस इक क़मीस थी जो मिरा भाई ले गया
'ग़ालिब' तुम्हारे वास्ते अब कुछ नहीं रहा
गलियों के सारे संग तो सौदाई ले गया
Rahat Indori
आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो
हम ने ख़ुद अपनी रहनुमाई की