Ghum Ae Ashiqi Tera Shukriya - Parveen Shakir
December 21, 2022
कभी रुक गए कभी चल दिए || Parveen Shakir || Opal Poetry
Parveen Shakir
कभी रुक गए कभी चल दिए
कभी चलते चलते भटक गए
यूँ ही उमर सारी ग़ुज़र ऐ
यूँ ही जिंदगी के सितम सहे
कभी चलते चलते भटक गए
यूँ ही उमर सारी ग़ुज़र ऐ
यूँ ही जिंदगी के सितम सहे
कभी नींद में कभी होश में
तू जहां मिला तुझे देख कर
ना नज़र मिली ना जुबान पहाड़ी
यूँ ही सर जुखा के ग़ुज़र गए
कभी जुल्फ पर कभी चश्मा पर
कभी तेरे हसीन वजूद पर
जो पसंद तेरी मेरी किताब में
वो शायर सारे बिखर गए
मुझे याद है कभी एक तेरा
मगर आज हम हैं जुदा जुदा
वो जुदा हुए तू संवर गए
हम जुदा हुए तू बिखर गए
कभी अर्श पर कभी फ़र्श पर
कभी उन के डर कभी डर बदर
ग़म ए अश्क़ी तेरा शुक्रिया
हम कहां कहां से ग़ुज़र गए
परवीन शाकिर
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