Jhuki Jhuki Si Najar Be - Karar Hai Ki Nahi - Kaifi Azmi

 झुकी झुकी सी नज़र बे-क़रार है कि नहीं Best Hindi Ghazal By Kaifi Azmi | Opal Poetry

Kaifi Azmi
From Film:- अर्थ (1982)


झुकी झुकी सी नज़र बे-क़रार है कि नहीं
दबा दबा सा सही दिल में प्यार है कि नहीं

तू अपने दिल की जवाँ धड़कनों को गिन के बता
मिरी तरह तिरा दिल बे-क़रार है कि नहीं

वो पल कि जिस में मोहब्बत जवान होती है
उस एक पल का तुझे इंतिज़ार है कि नहीं

तिरी उमीद पे ठुकरा रहा हूँ दुनिया को
तुझे भी अपने पे ये ए'तिबार है कि नहीं
Kaifi Azmi

तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हों