Sharmindgi Hai Ham Ko Bahut Ham Mile Tumhe - Jaun Elia

शर्मिंदगी है हम को बहुत हम मिले तुम्हें || Ghazal Of Jaun Elia - Opal Poetry


 शर्मिंदगी है हम को बहुत हम मिले तुम्हें 
तुम सर-ब-सर ख़ुशी थे मगर ग़म मिले तुम्हें 

मैं अपने आप में न मिला इस का ग़म नहीं 
ग़म तो ये है कि तुम भी बहुत कम मिले तुम्हें

तुम को जहान-ए-शौक़-ओ-तमन्ना में क्या मिला
हम भी मिले तो दरहम ओ बरहम मिले तुम्हें

यूँ हो कि और ही कोई हव्वा मिले मुझे 
हो यूँ कि और ही कोई आदम मिले तुम्हें 
Jaun Elia

ज़ब्त कर के हँसी को भूल गया

किसी लिबास की खुशबू जब उड़ के आती है