Dilon Me Aag Labo Par Gulaab Rakhte hai - Rahat Indori
October 07, 2023
दिलों में आग लबों पर गुलाब रखते हैं || Ghazal Of Rahat Indori
दिलों में आग लबों पर गुलाब रखते हैं
सब अपने चेहरों पे दोहरी नक़ाब रखते हैं
सब अपने चेहरों पे दोहरी नक़ाब रखते हैं
हमें चराग़ समझ कर बुझा न पाओगे
हम अपने घर में कई आफ़्ताब रखते हैं
बहुत से लोग कि जो हर्फ़-आशना भी नहीं
इसी में ख़ुश हैं कि तेरी किताब रखते हैं
ये मय-कदा है वो मस्जिद है वो है बुत-ख़ाना
कहीं भी जाओ फ़रिश्ते हिसाब रखते हैं
हमारे शहर के मंज़र न देख पाएँगे
यहाँ के लोग तो आँखों में ख़्वाब रखते हैं
Rahat Indori
मेरे अश्कों ने कई आँखों में जल-थल कर दिया
सब की पगड़ी को हवाओं में उछाला जाए