Mere Ashko Ne Kai Aankho Me Jal Thal Kar Diya - Rahat Indori

 मेरे अश्कों ने कई आँखों में जल-थल कर दिया || Ghazal Of Rahat Indori - Opal Poetry


मेरे अश्कों ने कई आँखों में जल-थल कर दिया 
एक पागल ने बहुत लोगों को पागल कर दिया 

अपनी पलकों पर सजा कर मेरे आँसू आप ने 
रास्ते की धूल को आँखों का काजल कर दिया 

मैं ने दिल दे कर उसे की थी वफ़ा की इब्तिदा 
उस ने धोका दे के ये क़िस्सा मुकम्मल कर दिया 

ये हवाएँ कब निगाहें फेर लें किस को ख़बर 
शोहरतों का तख़्त जब टूटा तो पैदल कर दिया 

देवताओं और ख़ुदाओं की लगाई आग ने 
देखते ही देखते बस्ती को जंगल कर दिया 

ज़ख़्म की सूरत नज़र आते हैं चेहरों के नुक़ूश 
हम ने आईनों को तहज़ीबों का मक़्तल कर दिया
 
शहर में चर्चा है आख़िर ऐसी लड़की कौन है 
जिस ने अच्छे-ख़ासे इक शाइ'र को पागल कर दिया 
Rahat Indori

शाम ने जब पलकों पे आतिश-दान लिया 

दिलों में आग लबों पर गुलाब रखते हैं