Sab Ki Pagri Ko Hawao Me Uchhala Jaye - Rahat Indori
October 07, 2023
सब की पगड़ी को हवाओं में उछाला जाए || Ghazal Of Rahat Indori- Opal Poetry
सब की पगड़ी को हवाओं में उछाला जाए
सोचता हूँ कोई अख़बार निकाला जाए
सोचता हूँ कोई अख़बार निकाला जाए
पी के जो मस्त हैं उन से तो कोई ख़ौफ़ नहीं
पी के जो होश में हैं उन को सँभाला जाए
आसमाँ ही नहीं इक चाँद भी रहता है यहाँ
भूल कर भी कभी पत्थर न उछाला जाए
Rahat Indori
दिलों में आग लबों पर गुलाब रखते हैं
काली रातों को भी रंगीन कहा है मैं ने