Jo Ye Har-Su Falak Manzar Khare Hai - Rahat Indori

जो ये हर-सू फ़लक मंज़र खड़े हैं || Ghazal Of Rahat Indori - Opal Poetry


 जो ये हर-सू फ़लक मंज़र खड़े हैं 
न जाने किस के पैरों पर खड़े हैं 

तुला है धूप बरसाने पे सूरज 
शजर भी छतरियाँ ले कर खड़े हैं 

उन्हें नामों से मैं पहचानता हूँ 
मिरे दुश्मन मिरे अंदर खड़े हैं 

किसी दिन चाँद निकला था यहाँ से 
उजाले आज तक छत पर खड़े हैं 

उजाला सा है कुछ कमरे के अंदर 
ज़मीन-ओ-आसमाँ बाहर खड़े हैं 
Rahat Indori

बैर दुनिया से क़बीले से लड़ाई लेते 

 ये ख़ाक-ज़ादे जो रहते हैं बे-ज़बान पड़े