Gahe Gahe Bus Ab Yahi Ho Kya - Jaun Elia
July 26, 2022
गाहे गाहे बस अब यही हो क्या || Ghazal Of Jaun Elia - Opal Poetry
गाहे गाहे बस अब यही हो क्या
तुम से मिल कर बहुत ख़ुशी हो क्या
तुम से मिल कर बहुत ख़ुशी हो क्या
मिल रही हो बड़े तपाक के साथ
मुझ को यकसर भुला चुकी हो क्या
याद हैं अब भी अपने ख़्वाब तुम्हें
मुझ से मिल कर उदास भी हो क्या
बस मुझे यूँही इक ख़याल आया
सोचती हो तो सोचती हो क्या
अब मिरी कोई ज़िंदगी ही नहीं
अब भी तुम मेरी ज़िंदगी हो क्या
क्या कहा इश्क़ जावेदानी है!
आख़िरी बार मिल रही हो क्या
हाँ फ़ज़ा याँ की सोई सोई सी है
तो बहुत तेज़ रौशनी हो क्या
मेरे सब तंज़ बे-असर ही रहे
तुम बहुत दूर जा चुकी हो क्या
दिल में अब सोज़-ए-इंतिज़ार नहीं
शम-ए-उम्मीद बुझ गई हो क्या
इस समुंदर पे तिश्ना-काम हूँ मैं
बान तुम अब भी बह रही हो क्या
Jaun Elia
किसी लिबास की खुशबू जब उड़ के आती है
सर ही अब फोड़िए नदामत में