Roj Taron Ko Numaish Me Khlal Parta Hai - Rahat Indori
October 07, 2023
रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है | Rahat Indori Ghazal In Hindi | Best Hindi Ghazal
रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है
चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है
चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है
एक दीवाना मुसाफ़िर है मिरी आँखों में
वक़्त-बे-वक़्त ठहर जाता है चल पड़ता है
अपनी ताबीर के चक्कर में मिरा जागता ख़्वाब
रोज़ सूरज की तरह घर से निकल पड़ता है
रोज़ पत्थर की हिमायत में ग़ज़ल लिखते हैं
रोज़ शीशों से कोई काम निकल पड़ता है
उस की याद आई है साँसो ज़रा आहिस्ता चलो
धड़कनों से भी इबादत में ख़लल पड़ता है
Rahat Indori
शहर क्या देखें कि हर मंज़र में जाले पड़ गए
हाथ ख़ाली हैं तिरे शहर से जाते जाते